Disaster Story : उत्तराखंड के चमोली जिले में हाल ही में भयंकर प्राकृतिक आपदा देखने को मिला है अचानक बादल फटने की वजह से भारी मलवा गिर गया जिसके कारण कई गांव तबाह हो गए। घरों में पानी और मिट्टी घुसने के कारण लोग घरों में ही फंस गए और चारों तरफ अफरा तफरी का माहौल हो गया इस आपदा से जुड़ी एक भावुक आपदा की कहानी ने सबको झकझोर दिया है।
बहुओं का साहस
दरअसल उत्तराखंड के धुर्मा गांव में जब मलबा और पानी लोगों के घरों में घुसने लगा, तो परिवार के कई सारे लोग उसमें दब गए, ऐसे समय में दो बहू ने साहस दिखाया। पहली बहू ममता देवी ने अपने ससुर गुमान सिंह को बचाने के लिए अपनी जान की भी परवाह नहीं की और उसी हालात में घर में ससुर को बचाने चली गई, दुर्भाग्य से वह खुद मलवे के नीचे आ गई और अब तक लापता हैं।
उसके बाद दूसरी बहू ने अपनी सास को बाहर निकालने के लिए लगातार संघर्ष किया, और पानी, कीचड़ से घिरे घर में वह पंखे को पकड़कर लटकी रही जैसे ही मौका मिला उसने अपनी सास को पकड़ कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया।
परिवार की स्थिति
ममता देवी के तीन बच्चे हैं जो अभी छोटे हैं पति होटल में काम करते हैं और रोजगार के लिए बाहर ही रहते हैं। अब परिवार के लोगों के सामने बच्चों की परवरिश और भविष्य के जिम्मेदारी एक बड़ी चुनौती बनकर खड़ी हो गई है।
आपदा प्रबंधन पर सवाल
इस आपदा की कहानी से हमें यह पता चलता है कि आपदा आने के बाद राहत और बचाव कार्य समय पर नहीं मिल पाता है। पहाड़ी क्षेत्रों में अलर्ट सिस्टम और तुरंत बचाव के काम में कमी है ये साफ तौर पर पता चलता है अगर समय रहते मदद मिल गई रहती तो कई लोगों की जान बच सकती थी।
उत्तराखंड के चमोली की यह घटना केवल आपदा ही नहीं बल्कि साहस और बलिदान की कहानी भी है जिसमें परिवार की बहू ने परिवार के लिए जो हिम्मत दिखाइ है वह समाज के लिए प्रेरणा है।