Landslide Zone : उत्तराखंड में इस समय लगातार लैंडस्लाइड की समस्या होती जा रही है पहले से करीब 20 से ज्यादा लैंडस्लाइड क्षेत्र की पहचान भी की जा चुकी है लेकिन इस मानसून सीजन में नए इलाके भी खतरे की नजर में है। पहाड़ी ढलानों पर लगातार हो रही लैंडस्लाइड की वजह से आम लोगों की मुश्किलें काफी बढ़ गई है बल्कि सरकार और प्रशासन की चिंता भी गहरी हो गई है।
राष्ट्रीय राजमार्गों पर 203 भूस्खलन क्षेत्र चिन्हित
उत्तराखंड के राष्ट्रीय राजमार्ग पर अब तक टोटल 203 लैंडस्लाइड जॉन की पहचान हो चुकी है इनमें से कहीं जगह ऐसे हैं जहां सड़के बार-बार बाधित होती हैं। खास तौर पर बद्रीनाथ मार्ग, यमुनोत्री मार्ग और टनकपुर पिथौरागढ़ मार्ग में यात्रा करना जोखिम भरा है।
ट्रीटमेंट प्रोजेक्ट पर धीमी रफ्तार
पहचाने जाने वाले लैंडस्लाइड के क्षेत्र में से 127 जॉन की डीपीआर स्वीकृत हो चुकी है और लगभग 20 जगह पर काम भी शुरू हो गया है। लेकिन से क्षेत्र पर अभी भी काम हल्की रफ्तार में चल रहा है विशेषज्ञों का कहना है कि यदि समय रहते इन पर ठोस कदम नहीं उठाया गया तो भविष्य में यह बड़ी समस्या हो सकती है।
आर्थिक और सामाजिक असर
लैंडस्लाइड या भू संकलन होने की वजह से सड़कों का अवरुद्ध होना उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था पर भी असर करता है स्थानीय लोगों का आना-जाना इससे बाधित होता है। केवल इतना ही नहीं बल्कि रास्ते बंद हो जाने से पर्यटकों को भी कठिनाई का सामना करना पड़ता है अनुमान है कि नुकसान पहुंचने पर राष्ट्रीय राजमार्ग को दुरुस्त करने में लगभग हजार करोड रुपए से अधिक कभी खर्च हो जाता है।
मुख्य कारण क्या हैं?
लैंडस्लाइड होने का मुख्य कारण अंधाधुंध तरीके से सड़क का चौड़ीकरण और पहाड़ों की कटाई होना है बरसात के मौसम में ज्यादा अधिक वर्षा होने से जल जमाव की स्थिति हो जाती है जिससे भी लैंडस्लाइड होती है।
ड्रेनेज सिस्टम की कमी होने के कारण या फिर अनियंत्रित निर्माण और मानकों की अनदेखी होने के कारण उत्तराखंड में लैंडस्लाइड ज्यादा संवेदनशील है।
समाधान की दिशा
विशेषज्ञ का कहना है कि प्रभावित इलाकों में स्लोप प्रोटेक्शन, मजबूत ड्रेनेज सिस्टम और बड़े पैमाने पर वनरोपण होने की जरूरत है। इसके साथ ही निर्माण कार्य में वैज्ञानिक के अनुसार मानक का पालन करना भी जरूरी है।
उत्तराखंड में लगातार बढ़ते जा रहे Landslide Zone राज्य की सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और हमारे पर्यावरण तीनों के लिए गंभीर खतरा है सरकार और प्रशासन को इसके लिए तात्कालिक राहत के लिए कुछ प्लानिंग करने की जरूरत है।