उत्तराखंड शिक्षा विभाग में Ad-hoc promotions से जुड़ा एक बड़ा मामला देखने को मिला है। 2001 से लेकर 2008 के बीच आईटी से प्रवक्ता पद पर कई सारे शिक्षकों का प्रमोशन हुआ था लेकिन अब तक उन सभी प्रमोशन से संबंधित प्रमोशन की अनुमति लेटर और सभी प्रकार के दस्तावेज दोनों गायब है।
RTI में खुली पोल
एक शिकायतकर्ता ने आरटीआई के तहत इन आदेशों की प्रमाणित प्प्रति मांगी थी। जब विभाग से जवाब आया तो यह चौंकाने वाला मामला था विभाग ने माना कि निदेशालय के बार-बार स्थानांतरित होने के कारण प्रमोशन से जुड़ी पत्रावली उनसे गुम हो गई है।
सूचना आयोग का सख्त रुख
उत्तराखंड की मुख्य सूचना आयुक्त राधा रतूड़ी ने इस मामले को बेहद गंभीर मामला माना है आयोग ने शिक्षा महानिदेशक और निर्देशक को आदेश दिया है कि 3 महीने के अंदर इस पूरे प्रकरण की विस्तृत रिपोर्ट शासन को सौंप दी जाए। साथ ही दोषी अधिकारियों पर भी कानूनी कार्रवाई करने को कहा है।
शिक्षकों की वैधता पर सवाल
डॉक्यूमेंट गायब होने की वजह से उन प्रमोशन की वैधता पर प्रश्न उठ रहे हैं जिन शिक्षकों को प्रमोशन मिली थी उनके सेवा रिकॉर्ड और भविष्य पर अब संकट के बादल आ गए हैं। दरअसल या मामला न केवल प्रशासन की लापरवाही को बता रहा है बल्कि शिक्षकों की स्थिरता पर भी असर डाल सकता है।
क्या है आगे की राह?
सूचना आयोग ने कहा कि अगर जरूरी हो तो गुम हुई पत्रावली को दोबारा से तैयार कर दिया जाए। आदेश की एक प्रति ssp देहरादून को भेजी गई है ताकि यदि कानूनी मामला दर्ज करना पड़े तो पुलिस तुरंत कार्रवाई कर पाए।
इस मामले को देखकर उत्तराखंड के शिक्षा विभाग के रिकॉर्ड प्रबंधन प्रणाली पर कई प्रकार के सवाल उठते हैं। Ad-hoc promotions से जुड़ी या लापरवाही भविष्य में बड़े विवाद का कारण भी बन सकती है अब सब की निगाहें यही बात पर है की 3 महीने बाद विभाग कौन सी रिपोर्ट पेश करता है क्या शिक्षकों को न्याय मिल पाएगा।