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Uttarakhand Education Department में Ad-hoc promotions आदेश गायब, शिक्षकों की वैधता पर संकट

उत्तराखंड शिक्षा विभाग में Ad-hoc promotions से जुड़ा एक बड़ा मामला देखने को मिला है। 2001 से लेकर 2008 के बीच आईटी से प्रवक्ता पद पर कई सारे शिक्षकों का प्रमोशन हुआ था लेकिन अब तक उन सभी प्रमोशन से संबंधित प्रमोशन की अनुमति लेटर और सभी प्रकार के दस्तावेज दोनों गायब है।

RTI में खुली पोल

एक शिकायतकर्ता ने आरटीआई के तहत इन आदेशों की प्रमाणित प्प्रति मांगी थी। जब विभाग से जवाब आया तो यह चौंकाने वाला मामला था विभाग ने माना कि निदेशालय के बार-बार स्थानांतरित होने के कारण प्रमोशन से जुड़ी पत्रावली उनसे गुम हो गई है।

सूचना आयोग का सख्त रुख

उत्तराखंड की मुख्य सूचना आयुक्त राधा रतूड़ी ने इस मामले को बेहद गंभीर मामला माना है आयोग ने शिक्षा महानिदेशक और निर्देशक को आदेश दिया है कि 3 महीने के अंदर इस पूरे प्रकरण की विस्तृत रिपोर्ट शासन को सौंप दी जाए। साथ ही दोषी अधिकारियों पर भी कानूनी कार्रवाई करने को कहा है।

शिक्षकों की वैधता पर सवाल

डॉक्यूमेंट गायब होने की वजह से उन प्रमोशन की वैधता पर प्रश्न उठ रहे हैं जिन शिक्षकों को प्रमोशन मिली थी उनके सेवा रिकॉर्ड और भविष्य पर अब संकट के बादल आ गए हैं। दरअसल या मामला न केवल प्रशासन की लापरवाही को बता रहा है बल्कि शिक्षकों की स्थिरता पर भी असर डाल सकता है।

क्या है आगे की राह?

सूचना आयोग ने कहा कि अगर जरूरी हो तो गुम हुई पत्रावली को दोबारा से तैयार कर दिया जाए। आदेश की एक प्रति ssp देहरादून को भेजी गई है ताकि यदि कानूनी मामला दर्ज करना पड़े तो पुलिस तुरंत कार्रवाई कर पाए।

इस मामले को देखकर उत्तराखंड के शिक्षा विभाग के रिकॉर्ड प्रबंधन प्रणाली पर कई प्रकार के सवाल उठते हैं। Ad-hoc promotions से जुड़ी या लापरवाही भविष्य में बड़े विवाद का कारण भी बन सकती है अब सब की निगाहें यही बात पर है की 3 महीने बाद विभाग कौन सी रिपोर्ट पेश करता है क्या शिक्षकों को न्याय मिल पाएगा।

Tourism growth in Uttarakhand : पिथौरागढ़ से मुनस्यारी और धारचूला के लिए हेली सेवा शुरू, पर्यटन और स्थानीयों को बड़ी सौगात

Tourism growth in Uttarakhand : उत्तराखंड के सीमांत जिले पिथौरागढ़ के लोगों और पर्यटकों के लिए खुशखबरी है 1 अक्टूबर 2025 से पिथौरागढ़ से मुनस्यारी और धारचूला के बीच एक नई दिल्ली सेवा शुरू होने वाली है। इस फैसले से न केवल स्थानीय निवासियों को राहत मिलेगी बल्कि पर्यटन उद्योग को भी एक नई ऊर्जा मिलेगी।

कब और कैसे होगी शुरुआत?

नागरिक उड्डयन मंत्रालय की अनुमति के बाद हेरिटेज एविएशन को इस सेवा के संचालन की जिम्मेदारी दे दी गई है, उत्तराखंड नागरिक विकास प्राधिकरण के सीईओ ने इस बात की जानकारी दी और कहा कि यह सेवा अक्टूबर से पूरी तरह से शुरू हो जाएगी। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी इस योजना के लिए केंद्र सरकार से विशेष रूप से आग्रह किया था।


स्थानीय जनता को बड़ा लाभ

पिथौरागढ़, मुनस्यारी और धारचूला जैसे क्षेत्रों में सड़क के रास्ते हमेशा लैंडस्लाइड, बारिश या बर्फबारी के कारण प्रभावित हो जाते थे ऐसे में हवाई सेवा यहां के लोगों के लिए एक जीवन रेखा साबित होने वाली है। क्योंकि कई बार आपदा की स्थिति में मरीजों को अस्पताल ले जाने में काफी परेशानी होता था जिस कारण हेली सेवा शुरू होने से लोग आसानी से अस्पताल जा सकते हैं। केवल इतना ही नहीं छात्रों और व्यापारियों आदि को भी इस सेवा की शुरू होने से लाभ मिलेगी।

पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

मुनस्यारी और धारचूला अपनी एक अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता और हिमालय की अद्भुत सुंदर दृश्य के लिए जाना जाता है। लेकिन कठिन रास्ता होने के कारण यहां पर पहुंचना आसान नहीं होता है हेली सेवा शुरू हो जाने के बाद इन स्थानों पर पहुंचना आसान हो जाएगा। इससे स्थानीय होटल, गाइड और अन्य पर्यटन गतिविधियों को भी लाभ मिलेगा।

चुनौतियाँ भी होंगी

हालांकि हेलीकॉप्टर सेवा शुरू होने की सफलता कई प्रकार की चुनौतियों पर भी निर्भर करती है पहाड़ी इलाकों पर मौसम अक्सर उड़ान के लिए अनुकूल नहीं होता है जिस स्थिति में यह सेवा भी काम नहीं कर पाएगी। हेलीकाप्टर सेवाएं महंगी होती है इसलिए आम लोगों की पहुंच तक इसमें किराया होना चाहिए तभी इस सेवा का उपयोग करके लोग आपदा की स्थिति में मदद ले सकते हैं। इसके अलावा लगातार संचालन और रखरखाव के लिए हेली सेवा सुनिश्चित करना सबसे बड़ा काम है।

पिथौरागढ़ से मुनस्यारी और धारचूला के बीच हेली सेवा शुरू होना उत्तराखंड के लिए एक काफी अच्छा कदम माना जा रहा है क्योंकि पहले सीमांत क्षेत्र की मुख्य धारा से जोड़ने और टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए यह सेवा उत्तराखंड राज्य के लिए बेहतरीन सेवाओं में से एक है।

उत्तराखंड Weather Update: तीन दिनों में विदा होगा Monsoon, हल्की बारिश के आसार

Weather Update: उत्तराखंड में अब मौसम करवट लेने लगा है सितंबर के आखिरी सप्ताह में मानसून अपनी विदाई की ओर है मौसम विभाग के अनुसार अगले तीन दिनों में राज्य से मानसून पूरी तरह से विदा हो जाएगा। जिसका मतलब है कि धीरे-धीरे बारिश का दौर बंद हो जाएगा और मौसम में ठंडक बढ़ने लगेगी।

आज हल्की बारिश की संभावना

मौसम विभाग ने आज कुछ जिलों में हल्की बारिश का अनुमान बताया है खास तौर पर उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली, बागेश्वर और पिथौरागढ़ आदि जैसे जिलों में बादल बरसने की संभावना है। वही देहरादून सहित कहीं तराई क्षेत्र में आंशिक रूप से बादल और कहीं कहीं पर हल्की बूंदाबांदी होने की भी उम्मीद की गई है।

दिन में गर्मी, रात में हल्की ठंडक

उत्तराखंड के देहरादून का अधिकतम तापमान 33.8 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 23.4 डिग्री सेल्सियस का रिकॉर्ड किया गया है उत्तराखंड के देहरादून में धूप और उम्र से काफी लोग परेशान है लेकिन रात होते ही मौसम में हल्की ठंडक महसूस होने लगती है। मौसम का या परिवर्तन देखकर साफ संकेत पता चलता है की बरसात अब अपने अंतिम चरण पर है और आने वाले दिनों में सर्दी के मौसम की शुरुआत हो जाएगी।

किसानों और पर्यटकों के लिए राहत

मानसून की विदाई हो जाने से किसानों को राहत मिलेगी क्योंकि धन की फसल कटाई की ओर बढ़ रही है। ज्यादा बारिश की संभावना नहीं होने से फसलों को नुकसान से बचाया जा सकेगा दूसरी और पर्यटकों के लिए भी यह मौसम अच्छा रहेगा क्योंकि पहाड़ों में ट्रैकिंग और घूमने का यह सही समय रहेगा।

जैसे कि मैं आपको बताया कि उत्तराखंड में मौसम बदल रहा है अगले तीन दिनों के भीतर मानसून उत्तराखंड से पूर्ण रूप से विदा ले लेगा और हल्की बारिश के बाद शुष्क मौसम की शुरुआत हो जाएगी।

उत्तराखंड में बढ़ती भू धंसाव की समस्या: प्राकृतिक आपदाओं और मानव लापरवाही का परिणाम

उत्तराखंड में हाल ही के वर्षों में लैंडस्लाइड होने की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही है मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार तेज और असामान्य तरीके से होने वाली वर्षा के कारण मिट्टी की स्थिरता प्रभावित हो रही है। इस वर्ष 2025 में राज्य में 574.4 mm बारिश दर्ज की गई है जबकि पिछले वर्षों में ये आंकड़ा और भी ज्यादा था। भारी वर्षा और हिमालय क्षेत्र की ढलान वाली भौगोलिक स्थिति मिलकर लैंडस्लाइड के लिए एक स्थिति बना देती है।

मानवीय लापरवाही और निर्माण

लैंडस्लाइड की एक और बड़ी वजह मानव के गतिविधि बताई जा रही है पहाड़ी इलाकों में अधिक बड़े भवन बनने एवं अवैध निर्माण होने से प्राकृतिक जल स्रोतों के पास निर्माण कार्य और मिट्टी की स्थिरता को खतरा पहुंचता है विशेषज्ञों का कहना है कि बिना किसी वैज्ञानिक अध्ययन से निर्माण करने पर लैंडस्लाइड को बढ़ावा मिलता है।

भूधंसाव के बढ़ते आंकड़े

उत्तराखंड राज्य में पिछले कुछ सालों से लैंडस्लाइड की घटनाओं में तेजी देखी गई है कुछ रिपोर्ट के अनुसार रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जैसे जिलों में सबसे अधिक लैंडस्लाइड होते रहते हैं भूगर्भीय अध्ययन से हमें पता चलता है कि लगातार बढ़ती वर्षा मिट्टी की क्षरनशीलता और पहाड़ी क्षेत्र में लोगों का हस्तक्षेप होने के कारण होता है।

समाधान और सावधानियां

लैंडस्लाइड से निपटने के लिए जरूरी है कि राज्य सरकार और नागरिक दोनों लैंडस्लाइड को लेकर सतर्क रहे विशेषज्ञों का सुझाव है की पहाड़ी इलाकों में निर्माण के लिए सख्त नियम बनना चाहिए। वर्षा जल का सही प्रबंधन में उपयोग किया जाए और प्राकृतिक जल स्रोतों के पास निर्माण से बचा जाए इसके अलावा स्थानीय प्रशासन को लैंडस्लाइड की जोखिम वाली जगह की पहचान कर वहां की निगरानी बढ़ानी चाहिए।

उत्तराखंड में लैंडस्लाइड होना केवल एक प्राकृतिक संकट ही नहीं है बल्कि मानव की लापरवाही का भी नतीजा है अगर समय रहते सावधानी नहीं बढ़ती गई तो भविष्य में और भी गंभीर समस्याएं देखने को मिल सकती हैं।

उत्तराखंड में बढ़ी Landslide Zone की चुनौती, 20 से ज्यादा नए क्षेत्र भी आए खतरे में

Landslide Zone : उत्तराखंड में इस समय लगातार लैंडस्लाइड की समस्या होती जा रही है पहले से करीब 20 से ज्यादा लैंडस्लाइड क्षेत्र की पहचान भी की जा चुकी है लेकिन इस मानसून सीजन में नए इलाके भी खतरे की नजर में है। पहाड़ी ढलानों पर लगातार हो रही लैंडस्लाइड की वजह से आम लोगों की मुश्किलें काफी बढ़ गई है बल्कि सरकार और प्रशासन की चिंता भी गहरी हो गई है।

राष्ट्रीय राजमार्गों पर 203 भूस्खलन क्षेत्र चिन्हित

उत्तराखंड के राष्ट्रीय राजमार्ग पर अब तक टोटल 203 लैंडस्लाइड जॉन की पहचान हो चुकी है इनमें से कहीं जगह ऐसे हैं जहां सड़के बार-बार बाधित होती हैं। खास तौर पर बद्रीनाथ मार्ग, यमुनोत्री मार्ग और टनकपुर पिथौरागढ़ मार्ग में यात्रा करना जोखिम भरा है।

ट्रीटमेंट प्रोजेक्ट पर धीमी रफ्तार

पहचाने जाने वाले लैंडस्लाइड के क्षेत्र में से 127 जॉन की डीपीआर स्वीकृत हो चुकी है और लगभग 20 जगह पर काम भी शुरू हो गया है। लेकिन से क्षेत्र पर अभी भी काम हल्की रफ्तार में चल रहा है विशेषज्ञों का कहना है कि यदि समय रहते इन पर ठोस कदम नहीं उठाया गया तो भविष्य में यह बड़ी समस्या हो सकती है।

आर्थिक और सामाजिक असर

लैंडस्लाइड या भू संकलन होने की वजह से सड़कों का अवरुद्ध होना उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था पर भी असर करता है स्थानीय लोगों का आना-जाना इससे बाधित होता है। केवल इतना ही नहीं बल्कि रास्ते बंद हो जाने से पर्यटकों को भी कठिनाई का सामना करना पड़ता है अनुमान है कि नुकसान पहुंचने पर राष्ट्रीय राजमार्ग को दुरुस्त करने में लगभग हजार करोड रुपए से अधिक कभी खर्च हो जाता है।

मुख्य कारण क्या हैं?

लैंडस्लाइड होने का मुख्य कारण अंधाधुंध तरीके से सड़क का चौड़ीकरण और पहाड़ों की कटाई होना है बरसात के मौसम में ज्यादा अधिक वर्षा होने से जल जमाव की स्थिति हो जाती है जिससे भी लैंडस्लाइड होती है।

ड्रेनेज सिस्टम की कमी होने के कारण या फिर अनियंत्रित निर्माण और मानकों की अनदेखी होने के कारण उत्तराखंड में लैंडस्लाइड ज्यादा संवेदनशील है।

समाधान की दिशा

विशेषज्ञ का कहना है कि प्रभावित इलाकों में स्लोप प्रोटेक्शन, मजबूत ड्रेनेज सिस्टम और बड़े पैमाने पर वनरोपण होने की जरूरत है। इसके साथ ही निर्माण कार्य में वैज्ञानिक के अनुसार मानक का पालन करना भी जरूरी है।

उत्तराखंड में लगातार बढ़ते जा रहे Landslide Zone राज्य की सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और हमारे पर्यावरण तीनों के लिए गंभीर खतरा है सरकार और प्रशासन को इसके लिए तात्कालिक राहत के लिए कुछ प्लानिंग करने की जरूरत है।

Weather update: उत्तराखंड में हल्की बारिश के बावजूद गर्मी और उमस बनी परेशानी का कारण

Weather update: उत्तराखंड के देहरादून नैनीताल और चमोली जिले में हल्की बारिश होने के बावजूद गर्मी और उमस ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। मौसम विभाग के अनुसार मानसून के धीरे-धीरे जाने के बाद तापमान में लगातार वृद्धि हो रही है जिससे राहत की जगह लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

हल्की बारिश के बावजूद उमस और तापमान

मौसम विभाग के अनुसार देहरादून और उत्तरकाशी में हल्की बारिश दर्ज की गई है लेकिन इसके बावजूद तापमान में वृद्धि ने वातावरण को और अधिक गर्म और भारी बना दिया है। हल्की बारिश हो जाने से थोड़ी ठंडक तो मिली है लेकिन उमस ने लोगों को और ज्यादा परेशान कर दिया है।

मौसम विभाग की चेतावनी

उत्तराखंड में मौसम विभाग में आने वाले दिनों में हल्की बारिश की संभावनाएं बताई हैं लेकिन तापमान में वृद्धि के कारण गर्मी का असर बना ही रहेगा। लोगों को धूप और उमस से बचने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीने हल्के कपड़े पहने और घर के अंदर रहने की सलाह भी दी गई है।

मानसून की विदाई और बदलाव

उत्तराखंड में मानसून की विदाई होने के बाद तापमान में अचानक से वृद्धि हो गई है पहाड़ी क्षेत्रों में भी हल्की-हल्की बारिश होने से तापमान मैं थोड़ी ठंडक तो आती है लेकिन दोबारा से मौसम उम्मत भरा हो जाता है। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले कुछ दिनों में हल्की बारिश के साथ गर्मी इसी प्रकार बनी रहेगी इसलिए लोगों को सतर्क रहना जरूरी है।

उत्तराखंड में देहरादून नैनीताल और चमोली में हल्की बारिश के बावजूद गर्मी और उमस ने लोगों का जीवन कठिन बना दिया है इस समय मौसम विभाग के अनुसार लोगों को सावधानीपूर्वक व्यवहार करना चाहिए।

Landslide Atlas of India report : उत्तराखंड का रुद्रप्रयाग बना भारत का सबसे खतरनाक भूस्खलन क्षेत्र

Landslide Atlas of India report : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो द्वारा हाल ही में जारी लैंडस्लाइड एटलस ऑफ इंडिया रिपोर्ट में उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले को देश का सबसे संवेदनशील क्षेत्र बताया गया है। इसरो की इस रिपोर्ट में टिहरी गढ़वाल दूसरे और चमोली 19 वीं स्थान पर है। इसरो के अनुसार रुद्रप्रयाग में कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां कई सालों से लैंडस्लाइड होने का खतरा रहता है।

आंकड़े बताते हैं गंभीर स्थिति

इसरो के द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार पिछले एक दशक में उत्तराखंड में लगभग 4600 से अधिक लैंडस्लाइड की घटनाएं देखी गई हैं जिसमें से 316 से ज्यादा लोगों की जान चली गई है। अकेले रुद्रप्रयाग जिले में 48 घटनाओं में कार्बन लोगों की मौत हो चुकी है इसके अलावा NH 107 वाले रास्ते पर और केदारनाथ यात्रा वाले रास्ते पर स्थित कई स्थाई क्षेत्र ऐसे हैं जहां लैंडस्लाइड होती ही रहती है जिससे यात्रियों और स्थानीय लोगों के लिए गंभीर खतरा बना रहता है।

मौजूदा हालात और चेतावनी

2025 में अब तक 25 स्थाई भू संकलन की घटनाएं हो चुकी है हाल ही में अगस्त में रुद्रप्रयाग और चमोली में बादल फटने की वजह से कई सारे लोग लापता भी हो गए थे। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है की पहाड़ी इलाकों में अव्यवस्थित निर्माण होने से और खराब चल निकासी की वजह से लैंडस्लाइड का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है।

सुरक्षा उपाय आवश्यक

विशेषज्ञों के अनुसार सरकार को सुरक्षा उपाय की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों में निर्माण पर नियंत्रण और प्रभावी आपदा से निपटने के लिए एक अच्छी प्लानिंग की जरूरत है। स्थानीय प्रशासन को लोगों को जागरूक करने और संभावित जोखिम वाले क्षेत्र से हटाने के उपाय करने चाहिए।

हमारे अनुसार रुद्रप्रयाग जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को बहुत ही सतर्क रहने की जरूरत है पर्यटकों को भी इन क्षेत्रों की मौसम की स्थिति के अनुसार ही आना जाना चाहिए यदि सही समय पर सावधानी बढ़ती जाए तो जान माल होने का नुकसान कम किया जा सकता है।

UKSSSC Exam Paper Leak: मोबाइल प्रतिबंध के बावजूद बाहर पहुँचा प्रश्नपत्र, जांच ने बढ़ाई चिंता

UKSSSC Exam Paper Leak : उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की भर्ती परीक्षा एक बार फिर से सवालों के घेरे में है, हाल ही में उत्तराखंड में एग्जाम पेपर लीक मामले में आयोग के द्वारा एग्जाम लेने के तरीके और छात्रों का आयोग पर विश्वास पर कई प्रकार के सवाल उठते हैं। इसमें सबसे बड़ा सवाल यह है, कि जब परीक्षा केंद्रों पर मोबाइल फोन या फिर किसी भी प्रकार का इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस ले जाना माना था तो प्रश्न पत्र की तस्वीर एग्जाम सेंटर से बाहर कैसे पहुंची।

मोबाइल प्रतिबंध के बावजूद कैसे हुई गड़बड़ी?

परीक्षा केंद्र पर प्रवेश से पहले उम्मीदवारों की कड़ी जांच हुई थी साथ ही मोबाइल फोन लाने पर भी पूरी तरह से रोक लगाई गई थी। केवल इतना ही नहीं कई परीक्षा केंद्र पर जैमर भी लगाए गए लेकिन इसके बावजूद परीक्षा हॉल से पेपर की फोटो बाहर चले जाना आयोग की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठता है। इससे यह स्पष्ट रूप से पता चलता है कि कहीं ना कहीं सुरक्षा व्यवस्था में ही चूक हुई है।

आरोपी और जांच की दिशा

इस मामले में उम्मीदवार खालिद नाम के व्यक्ति के बारे में पता चला है, कि इसने ही प्रश्न पत्र के कुछ हिस्सों की तस्वीर खींचकर बाहर भेजी थी। हालांकि एसटीएफ और पुलिस का मानना है कि अकेले या काम खालिद नहीं कर सकता है किसी मददगार की भूमिका भी सामने आ सकती है जिसकी तलाश में पुलिस चुकी है।

परीक्षा रद्द होगी या नहीं?

उत्तराखंड आयोग का कहना है कि इस मामले में केवल एक उम्मीदवार ही जुड़ा है और पूरे पेपर लीक की कोई पुष्टि नहीं हुई है। इसलिए परीक्षा को रद्द करने का कोई भी फैसला भी फिलहाल नहीं लिया गया है हालांकि परीक्षार्थियों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है और कई छात्रों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं उनke भविष्य के साथ खिलवाड़ करती है।

सरकार और STF की सख्ती

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पहले ही साफ तौर पर कहा है की नकल माफिया को किसी भी हालत में छोड़ा नहीं जाएगा। एसटीएफ की टीम लगातार मामले की पूछताछ कर रही है और साइबर डाटा, सीसीटीवी फुटेज समेत अन्य सभी तकनीकी सबूत के तहत विश्लेषण किया जा रहा है।

UKSSSC Exam Paper Leak हो जाने से भर्ती परीक्षा की निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं जब तक सही दोषियों के पहचान कर कार्रवाई नहीं की जाती तब तक अभ्यर्थियों का भरोसा लौट आना मुश्किल होगा।

Lalkuan में Property Dealer Mahesh Joshi की मौत से मचा हंगामा, जांच तेज

Property Dealer Mahesh Joshi : उत्तराखंड के नैनीताल जिले से लाल कुआं क्षेत्र से एक चौंकाने वाली खबर पता चली है यहां के जाने-माने प्रॉपर्टी डीलर महेश जोशी की मौत हो जाने के बाद इलाके में भारी आक्रोश फैल गया है स्थानीय लोगों ने इस घटना को संदिग्ध बताते हुए न्याय की मांग की है और जोरदार विरोध भी किया है।

घटना का पूरा मामला

दरअसल इस घटना का पूरा मामला मंगलवार को लाल कुआं क्षेत्र में प्रॉपर्टी डीलर महेश जोशी को अचानक अमृत अवस्था में पाए जाने की वजह से शुरू हुआ है। मौत की स्थिति अभी तक स्पष्ट नहीं हुई है जिससे लोगों के मन में कहीं प्रकार के सवाल है। जानकारी मिलते ही बड़ी संख्या में लोग सड़क पर उतर आए और प्रशासन से सख्त कारवाई की मांग भी करने लगे।

स्थानीय लोगों का गुस्सा

इस घटना के बाद क्षेत्र में तनाव का माहौल बन गया है परिजनों और स्थानीय नागरिकों ने मौत को संदिग्ध बताते हुए पुलिस पर कई तरह के सवाल भी उठाए हैं लोगों का कहना है कि इस मामले की निष्पक्ष तरीके से जांच होनी चाहिए ताकि गुनहगार को सजा मिल सके। विरोध के कारण पुलिस और प्रशासन को मौके पर भारी सुरक्षा व्यवस्था स्टार्ट करनी पड़ी।

पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई

हालांकि पुलिस ने सबको कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है अधिकारियों का कहना है कि जब तक रिपोर्ट नहीं आती तब तक मौत का कारण स्पष्ट नहीं होसकेगा। फिलहाल पुलिस की जांच टीम आसपास के लोगों से पूछताछ कर रही है और मामले से जुड़े सभी प्रकार के पहलुओं को पता कर रही है प्रशासन का दावा है कि दोषी को किसी भी हाल में माफ नहीं किया जाएगा।

राजनीतिक और सामाजिक दबाव

अभी यहां मामला सामाजिक और राजनीतिक चर्चा का विषय भी बनता जा रहा है आम लोग प्रशासन से तुरंत न्याय की उम्मीद कर रहे हैं साथ ही स्थानीय नेताओं ने भी करने वाले व्यक्ति के परिवार को न्याय दिलाने की मांग की है।

Property Dealer Mahesh Joshi कि अचानक मौत होने से लाल कुआं और आसपास के क्षेत्र में सुरक्षा का माहौल बन गया है जब तक इसकी जांच पूरी नहीं होती है और इस मौत का असली कारण पता नहीं चलता है तब तक लोगों में गुस्सा शांत नहीं होगा।

UKSSSC Paper Leak Case: खालिद की बहन साबिया गिरफ्तार, मददगार की तलाश तेज

UKSSSC Paper Leak Case : उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) स्नातक स्तरीय परीक्षा को लेकर पेपर लिखकर मामले में एक बार फिर चर्चा में है।l हरिद्वार जिले के लक्सर क्षेत्र से जुड़ा या मामला तेजी से बढ़ता जा रहा है।

कैसे हुआ खुलासा?

पिछले दिनों हुई परीक्षा के दौरान प्रश्न पत्र के तीन पन्ने बाहर भेजे जाने की खबर सामने आई थी जिसमें जांच के दौरान पता चला कि परीक्षार्थी खालिद ने प्रश्न पत्र के पन्ने मोबाइल के जरिए बाहर भेजे थे। इस पूरे मामले में उसकी बहन सबिया और उसकी दूसरी बहन की ना की भूमिका सामने आई है पुलिस ने साबिया को गिरफ्तार कर लिया है जबकि हिना पहले से हिरासत में है।

और कौन आया पुलिस की गिरफ्त में?

इस मामले में एक सहायक प्रोफेसर सुमन को भी पकड़ लिया गया है जिसने कथित रूप से इस प्रक्रिया में सहयोग किया है अब पुलिस उसे मददगार की तलाश में है जिसने मोबाइल फोन परीक्षा केंद्र के अंदर पहुंचने में अपनी एक अहम भूमिका निभाई है।

STF की बड़ी कार्रवाई

एसटीएफ में परीक्षा केंद्र का निरीक्षण किया और प्रिंसिपल कक्ष निरीक्षक समेत कई गवाहों से पूछताछ की जिसमें साइबर डाटा और सर्विलांस की मदद से जांच को आगे बढ़ाया जा रहा है। हालांकि आयोग ने स्पष्ट रूप से बताया है कि केवल एक छात्र के द्वारा एक ही केंद्र पर कुछ पन्नों का पेपर लीक हुआ है।

सरकार की सख्ती

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने साफ कर दिया है की नकल माफिया को किसी भी हाल में माफ नहीं किया जाएगा सरकार लगातार ये संदेश देने की कोशिश कर रही है की परीक्षाओं में किसी तरह का पेपर लीक नहीं हो अन्यथा पेपर लीक करने वालों को माफ नहीं किया जाएगा।

परीक्षा रद्द होगी या नहीं?

अब तक आयोग के द्वारा परीक्षा रद्द करने का कोई निर्णय नहीं लिया गया है अधिकारियों का मानना है कि जब तक पूरे पेपर लीक होने की पुष्टि नहीं हो जाती तब तक ऐसी स्थिति में परीक्षा रद्द करना सही नहीं होगा हालांकि अभ्यर्थियों में बेचैनी का माहौल बना हुआ है।

UKSSSC Paper Leak Case ने एक बार फिर से भर्ती परीक्षाओं की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं एसटीएफ के जांच और सरकार की शक्ति से ऐसी उम्मीद की जा रही है कि पेपर लिखकर जिम्मेदार व्यक्तियों को सजा जरूर मिलेगी।