Chamoli Disaster: उत्तराखंड के चमोली जिले के नंदा नगर क्षेत्र में आईबिसों आपदा के कारण ग्रामीणों का जीवन तहस-नहस सा हो गया है। अचानक हुए भूस्खलन और मलवा गिरने के कारण कई सारे गांव चपेट में आ गए हैं।सेरा, कुंन्तरी लगा फाली, धुर्मा और सैंती जैसे इलाकों के गांव में तो घर टूट गए खेत खलिहान नष्ट हो गए और कहीं सारे लोग तो बेघर हो गए हैं। इस चमोली की आपदा ने प्रभावित परिवारों को रातों-रात शिविर में रहने के लिए मजबूर कर दिया है।
बर्बादी के दर्दनाक दृश्य
गांव में सिर्फ मालवा और खंडहर ही बचे हैं जिन गांव के घरों में लोग सालों से रह रहे थे उन घरों को मिट्टी में मिलता देख लोगों की आंखें नम हो चुकी है। जरूरी दस्तावेज, बच्चों की किताबें, कपड़े और सभी कीमती सामान सभी मलबे में दब चुके हैं। महिलाओं के साथ-साथ बुजुर्ग भी आंसुओं के सहारे अपनी स्थिति के बारे में बता रहे हैं लोग कह रहे हैं कि ये सिर्फ उनकी संपत्ति का नुकसान नहीं है बल्कि उनके सपनों और यादों का भी नुकसान हुआ है।
राहत और बचाव अभियान
हालांकि स्थानीय प्रशासन और आपदा प्रबंधन टीमों के द्वारा लगातार राहत और बचाव कार्य किया जा रहे हैं मलबे से लापता लोगों की तलाश भी प्रशासन के द्वारा जारी है। आपदा प्रभावित सभी परिवारों को खाने-पीने की सामग्री, दवाइयां और रहने के लिए एक अस्थाई आश्रय शिविर भी दिया जा रहा है। लेकिन टूटी सड़के और खराब मौसम के कारण प्रशासन के द्वारा की जाने वाली मदद जरूरतमंदों के पास समय पर नहीं पहुंच पा रही है।
बड़ी चुनौतियाँ सामने
लोगों के घर और खेत नष्ट होने से लोगों का भविष्य संकट में है मलबे के कारण सड़कों से संपर्क टूटा हुआ है। जिस कारण आपदा शिविरों में साफ पानी और स्वच्छता की समस्या भी बनी हुई है। लोग काफी ज्यादा परेशान है।
क्या है आगे की जरूरत
उन लोगों के लिए सबसे बड़ी जरूरत अभी स्थाई आवास है, सरकार को प्रभावित परिवारों को रहने के लिए एक स्थाई आवास उपलब्ध कराना होगा। सुरक्षित स्थानों पर नए घरों का निर्माण करने के लिए उन्हें आर्थिक सहायता और रोजगार की व्यवस्था भी सरकार को करनी चाहिए। साथ ही पहाड़ी क्षेत्रों में समय से पहले चेतावनी प्रणाली को और भी मजबूत बनाना चाहिए ताकि आगे ऐसी घटना ना हो सके।