उत्तराखंड में हाल ही के वर्षों में लैंडस्लाइड होने की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही है मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार तेज और असामान्य तरीके से होने वाली वर्षा के कारण मिट्टी की स्थिरता प्रभावित हो रही है। इस वर्ष 2025 में राज्य में 574.4 mm बारिश दर्ज की गई है जबकि पिछले वर्षों में ये आंकड़ा और भी ज्यादा था। भारी वर्षा और हिमालय क्षेत्र की ढलान वाली भौगोलिक स्थिति मिलकर लैंडस्लाइड के लिए एक स्थिति बना देती है।
मानवीय लापरवाही और निर्माण
लैंडस्लाइड की एक और बड़ी वजह मानव के गतिविधि बताई जा रही है पहाड़ी इलाकों में अधिक बड़े भवन बनने एवं अवैध निर्माण होने से प्राकृतिक जल स्रोतों के पास निर्माण कार्य और मिट्टी की स्थिरता को खतरा पहुंचता है विशेषज्ञों का कहना है कि बिना किसी वैज्ञानिक अध्ययन से निर्माण करने पर लैंडस्लाइड को बढ़ावा मिलता है।
भूधंसाव के बढ़ते आंकड़े
उत्तराखंड राज्य में पिछले कुछ सालों से लैंडस्लाइड की घटनाओं में तेजी देखी गई है कुछ रिपोर्ट के अनुसार रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जैसे जिलों में सबसे अधिक लैंडस्लाइड होते रहते हैं भूगर्भीय अध्ययन से हमें पता चलता है कि लगातार बढ़ती वर्षा मिट्टी की क्षरनशीलता और पहाड़ी क्षेत्र में लोगों का हस्तक्षेप होने के कारण होता है।
समाधान और सावधानियां
लैंडस्लाइड से निपटने के लिए जरूरी है कि राज्य सरकार और नागरिक दोनों लैंडस्लाइड को लेकर सतर्क रहे विशेषज्ञों का सुझाव है की पहाड़ी इलाकों में निर्माण के लिए सख्त नियम बनना चाहिए। वर्षा जल का सही प्रबंधन में उपयोग किया जाए और प्राकृतिक जल स्रोतों के पास निर्माण से बचा जाए इसके अलावा स्थानीय प्रशासन को लैंडस्लाइड की जोखिम वाली जगह की पहचान कर वहां की निगरानी बढ़ानी चाहिए।
उत्तराखंड में लैंडस्लाइड होना केवल एक प्राकृतिक संकट ही नहीं है बल्कि मानव की लापरवाही का भी नतीजा है अगर समय रहते सावधानी नहीं बढ़ती गई तो भविष्य में और भी गंभीर समस्याएं देखने को मिल सकती हैं।